सुनामी सुना था लेकिन देखा नही था आज देखा, बरेली शरीफ में।
ठाठे मरता समुन्दर सुना था लेकिन देखा नही था आज देखा,बरेली शरीफ में।
इंसानो की सुनामी, इंसानों का ठाठे मरता समुन्दर।
जहां नज़र उठी सिर्फ इंसान ही इंसान।
लाखों का मजमा------
ये दलील है कि हुज़ूर ताज अल शरिया अलैहिर्रहमा मक़बूले बारगाहे इलाही हैं।
अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त हज़रत के दरजात बुलंद फरमाए। आमीन
ग़ुलाम सैयद अली अलीमी अलीग
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