इस वक़्त हिंदुस्तानी मुसलमान सख्त आज़माइश से दोचार हैं, मौजूदा सरकार लाख बहाने बाज़ी करे मगर ये जगज़ाहिर है कि उसकी तमाम पहल और नीतियाँ किसी न किसी तरह से मुस्लिम विरोधी होती हैं, और ये कोई अनहोनी या ताज्जुब की बात नही क्यूंकि मौजूदा सरकार को सत्ता में लाने के लिये हिन्दूवादी संगठनों ने बड़ी मेहनत की है, आर एस एस वगैरह ने आम हिंदुओं के दिमाग में ये बात रासिख करने की पूरी कोशश की कि इस्लाम एक इंसानियत दुश्मन मज़हब है,आम हिन्दू जिस का धर्म जहां शक्ति वहां भक्ति था उस को इन लोगों ने कट्टरपंथी हिन्दू बना डालने में ऐड़ी चोटी का बल लगा दिया।
इन लोगों ने पूरे सिस्टम में अपने लोगों बैठा दिया आम सरकारी मशीनरी से लेकर बड़े से बड़े पद पर इनका क़ब्ज़ा हो चुका है।और सबसे दुःखद यह कि इन लोगों ने मीडिया को भी अपने हाथों की कठपुतली बना लिया है जो कि एक लोकतांत्रिक वयवस्था के लिए बहुत ही घातक है।
आफवाहों की मशीन फ़ेसबुक,व्हाट्सएप और दुसरे सोशल मीडिया पर इनकके आई टी सेल का पूर्ण रूप से क़ब्ज़ा हो चुका है,जिस तरह चाहते है प्रचार या दुष्प्रचार करते हैं।
आजकल तो माहौल इस तरह का बन गया है कि खुद को सेक्यूलर कहने वाले भी हिन्दुत्व का सहारा ले रहे हैं, मतलब ये की इस वक़्क़ इस मुल्क में हिन्दुत्व मेनस्ट्रीम पॉलिटिक्स बन चुका है, जिस का दस्तूर देशवासियों से पंथनिरपेक्षता की उम्मीद करता है। जिस के संविधान की उद्देशिका में है:
हम, भारत के लोग, भारत को एक [संपूर्ण प्रभुत्व-संपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य] बनाने के लिए--------संकल्प लेेेतेे हैैं।
बड़े अफसोस की बात है कि दस्तूर के रखवाले कहे जाने वाले भी दस्तूर की जान निकालने के दरपै हो रहे हैं।
जारी है----------------------
ग़ुलाम सैयद अली
नूरजहां अब्दुल मुस्तफ़ा ई0 कॉलेज
बेदीपुर बस्ती
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