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संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका उतनी ही महत्त्वपूर्ण है जितनी सरकार की, विपक्ष का काम सरकार के काम काज पर निगाह रखना, देश हित में सरकार को सहयोग देना, और गलत नीतियों पर उसका विरोध करना है। विपक्ष ही जनता की आवाज़ बनता है, जनविरोधी बिलों और प्रस्तावों पर आपत्ति दर्ज करता है।
भारत के वोटरों को संविधान द्वारा यह अधिकार मिला है कि वो अपने सांसद चुन कर संसद भवन भेजें और वो उनका प्रतिनिधित्व करें और फिर बहुमत प्राप्त करने वाली पार्टी या पार्टियों के सांसद अपना नेता या प्रधानमंत्री चुनते हैं। ठीक इसी तरह दूसरी सबसे बड़ी पार्टी से नेता विपक्ष चुना जाता है।
भारत के वोटरों को ये याद रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री चुनने का अप्रत्यक्ष अधिकार उनके पास नही, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की बदनसीबी ही कही जा सकता है कि यहां के वोटरों के दिमाग मे पिछले कुछ वर्षों से यह बात ठूसी जा रही है कि वो प्रधानमंत्री चुन रहे हैं, और उनका ध्यान स्थानीय उन्मीदवार और स्थानीय मुद्दों से हटाने की पूरी कोशिश की जा रही है, जिसकी वजह से संसदीय लोकतंत्र की स्तिथि बद से बदतर होती जा रही है।
भारत को मजबूत सरकार (एक दलीय बहुमत वाली सरकार) की ज़रूरत नही, इसलिए कि बहुमत से लैस एक दलीय सरकारों ने भारत को कमज़ोर किया है, मज़बूत भारत के लिए मज़बूत सरकार नही बल्कि साझेदारी की सरकार चाहिए जिसमें संस्थाएं मज़बूत होती हैं, 1991 से 2014 तक बहुदलीय सरकारें रहीं और इसी दौरान विकास दर भी सबसे ज़्यादा रहा।
भारत के वोटरों को ये याद रखना चाहिए कि प्रधानमंत्री चुनने का अप्रत्यक्ष अधिकार उनके पास नही, लेकिन यह भारत के लोकतंत्र की बदनसीबी ही कही जा सकता है कि यहां के वोटरों के दिमाग मे पिछले कुछ वर्षों से यह बात ठूसी जा रही है कि वो प्रधानमंत्री चुन रहे हैं, और उनका ध्यान स्थानीय उन्मीदवार और स्थानीय मुद्दों से हटाने की पूरी कोशिश की जा रही है, जिसकी वजह से संसदीय लोकतंत्र की स्तिथि बद से बदतर होती जा रही है।
भारत को मजबूत सरकार (एक दलीय बहुमत वाली सरकार) की ज़रूरत नही, इसलिए कि बहुमत से लैस एक दलीय सरकारों ने भारत को कमज़ोर किया है, मज़बूत भारत के लिए मज़बूत सरकार नही बल्कि साझेदारी की सरकार चाहिए जिसमें संस्थाएं मज़बूत होती हैं, 1991 से 2014 तक बहुदलीय सरकारें रहीं और इसी दौरान विकास दर भी सबसे ज़्यादा रहा।
आज़ादी के बाद से अब तक इतिहास रहा है हिन्दुस्तानी वोटरों ने जब जब एक दल को बहुमत दिया है तो उन सरकारों ने लोकतांत्रिक संस्थाओं को ताक़तवर बनाने के बजाए सत्ता पक्ष के लिए उनका द्रुपयोग किया है, चाहे इंदिरा गांधी और फिर राजीव गांधी की सरकार हो या फिर नरेन्द्र मोदी की सरकार।
2019 का लोकसभा इलेक्शन मुद्दों और विकास पर बिल्कुल नही हो रहा है, इसका मुद्दा फ़र्ज़ी राष्ट्रवाद और सम्प्रोदायिकता है, जो सरकार में बैठी पार्टी की तरफ से वोटरों को परोसा जा रहा है।
बहुसंख्यक हिन्दू को अल्पसंख्यक मुसलमानो से डराया जा रहा है, जो अपने आप मे खौफनाक के साथ हास्यास्पद भी है, हिन्दू ह्रदय सम्राट बनने के लिए इस हद तक गिरा गया कि आतंकवाद की आरोपी को लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया गया।
बहुसंख्यक हिन्दू को अल्पसंख्यक मुसलमानो से डराया जा रहा है, जो अपने आप मे खौफनाक के साथ हास्यास्पद भी है, हिन्दू ह्रदय सम्राट बनने के लिए इस हद तक गिरा गया कि आतंकवाद की आरोपी को लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया गया।
भारतीय जनता पार्टी एक बार फिर धर्मिक उन्माद फैला कर, नफरत और घृणा की भाषा का प्रयोग करके पूर्ण बहुमत की तरफ ललचाई निगाहों से देख रही है। लेकिन कटु सत्य यही है कि बहुमत की सरकार और कमज़ोर विपक्ष से भारत का लोकतंत्र कमज़ोर हुआ है और साझेदारी की सरकार और मज़बूत विपक्ष से लोकतंत्र फला फूला और मज़बूत हुआ है।
Published by Ghulam Sayed Ali Alimi
M.A. (English) B-ed ....Lecturer Noor Jahan Abdul Mustafa Inter College Bedipur Basti UP...former teacher Darul Uloom Alimia Jamda Shahi Basti UP... Graduated from Aligarh Muslim University Aligarh...Schooling Darul Uloom Alimia Jamda Shahi Basti..
M.A. (English) B-ed ....Lecturer Noor Jahan Abdul Mustafa Inter College Bedipur Basti UP...former teacher Darul Uloom Alimia Jamda Shahi Basti UP... Graduated from Aligarh Muslim University Aligarh...Schooling Darul Uloom Alimia Jamda Shahi Basti..
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