पूरी
दुनिया में कोविड-19 की वजह से किसी
भी तरह की जन-सभा प्रतिबंधित है भारत में भी यही हाल है, हर तरह की इबादत गाहें बंद हैं, इस बीमारी की चपेट में 53 लाख से ज्यादा लोग आ चुके हैं जबकि 22 लाख से ज्यादा लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा है, भारत में 1 लाख 30 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित और लगभग 4 हजार मौतें दर्ज हुई हैं। पूरे मुल्क में लाक-डाउन और धारा
144 लागू होने की वजह से, और खुद इस मर्ज़ से अपनी हिफाज़त के लिए ईद की नमाज पहले जैसी
नही हो पाएगी।
तो क्या
करें ?
1- जिस तरह ईद की नमाज के लिए पहले तैयार होते थे, उसी तरह तैयार हों, साफ-सुथरे कपड़े पहनें, खुष्बू लगायें, सदका-ए- फित्र अदा करें।
2- जितने लोगों को ईदगाह या मस्जिद में नमाज पढ़ने की इजाजत हो वह
तय समय पर पढ़ें।
3- जो लोग ईद की नमाज़ न पढ़ पायें वह अपने घरों में चार रकअत नमाज
नफल (शुकराना) पढ़ें। हज़रत मुफ्ती मुहम्मद निज़ामुद्दीन रजवी लिखते हैं
‘‘ हर शहर और इलाके के मुसलमान अपने यहां नमाजे ईद हो जाने कि बाद
अपने अपने घरों में चार रकअत शुकराने की नमाज, नफल की नियत से पढ़ लें, यह नमाज दर हकीकत चाशत की नमाज है जिसकी अहादीस में बहुत फजीलत
आई है।
यह नमाज
अकेले अकेले पढ़ना ज्यादा अच्छा है, घर में दो- तीन लोग जमात भी कर सकते हैं, सलाम के बाद 34 बार अल्लाहु अकबर पढ़ें।
यह नमाज
एक सलाम से पढ़ें, सिर्री यानी
आहिस्ता पढ़ें, चारो रकअत में सूरह भी पढ़ें, इसके बाद खुत्बा नही है, घर में काई नअत पढ़ने वाला हो तो नअत सुनें, बच्चों को अल्लाह के नेक बन्दों के वाकिआत सुनाऐं, नसीहत करें , ग़म व अफसोस से दूर रहकर खुश रहें---
अगर इस
तरह से शुकराने की नमाज पढ़ ली तो ईद की नमाज का सवाब मिलेगा, क्योंकि लाक-डाउन की वजह से आप मअज़ूर हैं।
4- भीड़- भाड़ हरगिज़ न करें, लोगों को ईद की मुबारकबाद दें, और कोई अगर आपको ईद की मुबारक बाद दे तो उसको दुआ देते हुए जज़ाकल्लाह
कहें।
0 Comments